गुजरते साल 2021 को बहुत-बहुत बधाई......
गुजरते साल 2021 को बहुत - बहुत बधाई ...... गुलज़ार की एक कविता : अहिस्ता चल जिंदगी , अभी का कर्ज चुकाना बाकी है। कुछ दर्द मिटाना बाकी है , कुछ फ़र्ज़ निभाना बाकी है। रफ़्तार में तेरे चलने से - कुछ रूठ गए , कुछ छुट गए। रूठों को मनाना बाकी है , रोटों को हसना बाकी है। कुछ हसरतें अभी अधूरी हैं , कुछ काम भी और ज़रुरी है। ख़्वाइशें जो घुट गई है दिल में , उन्को दफ़नाना बाकी है। कुछ रिश्ते बन कर - टूट गए , कुछ जुड़े - जुड़े छूट गए। उन टूटे - छुटे रिश्तों के ज़खमों को मिटाना बाकी है। तू आगे चल मैं आता हूं , क्या छोड़ तुझे जी पाउंगा ? सांसों पर हक है जिन्का में , उनको समझौता बाकी है। आहिस्ता चल ज़िंदगी , अभी का कर्ज चुकाना बाकी है ....