कैलाश मंदिर (Kailash Mandir)
कैलाश मंदिर (Kailash Mandir)
महाराष्ट्र के औरंगाबाद (kailash mandir aurangabad) शहर से बीस किलोमीटर दूर, भारत में आप 1200 साल प्राचीन हिंदू मंदिर, कैलाश मंदिर
(kailash mandir) देख सकते हैं। जो सिर्फ एक पहाड़ को काट कर बनाया गया है। यह तेजस्वी भगवान शिव मंदिर के चौबीस मंदिरों और मठों के एक समूह का हिस्सा है, जिसे एलोरा गुफाओं के नाम से जाना जाता है। भारत में शिल्पकारों की कोई कमी नहीं थी प्राचीन काल के शिल्पकार बहुत उच्च कोटि से कमा करते थे और मंदिरों का निर्माण करते थे।
एलोरा का कैलाश मंदिर किसने बनवाया:-
इसे राष्ट्रकूट वंश के राजा कृष्ण प्रथम ने बनवाया था। राष्ट्रकूट वंश ने छठी और दसवीं शताब्दी के बीच भारतीय उपमहाद्वीप के बड़े हिस्से पर शासन किया था। कैलाश शिव मंदिर औरंगाबाद
कैलाश मंदिर विशेषता (kailash mandir):-
महाराष्ट्र के
एलोरा में
कैलाश मंदिर आधुनिक
टेक्नोलॉजी
के
लिए
एक
बड़ा
रहस्य
है.
·
कई प्राचीन
हिन्दू
मंदिरों
की
तरह
इस
मंदिर
में
कई
आश्चर्यजनक
बातें
हैं
जोकि
यहाँ
आने
वाले
सभी
दार्शनिक
को
हैरान
करती
हैं
|
·
शिव जी
का
यह
दो
मंजिल
वाला
मंदिर
पर्वत
की
ठोस
चट्टान
को
काटकर
बनाया
गया
है।
·
एलोरा का
कैलाश
मन्दिर
महाराष्ट्र
के
औरंगाबाद
ज़िले
में
प्रसिद्ध
‘एलोरा
की
गुफ़ाओं’
में
स्थित
है।
·
यह मंदिर
दुनिया
भर
में
एक
ही
पहाड़
की
शिला
से
बनी
हुई
सबसे
बड़ी
मूर्ति
के
लिए
प्रसिद्ध
है।
·
इस मंदिर
को
तैयार
करने
में
क़रीब
150 वर्ष लगे
और
लगभग
7000 मज़दूरों ने
लगातार
इस
पर
काम
किया।
यह मंदिर 757 और 783 ईस्वी के बीच बनाया गया है और कैलाश पर्वत से मिलता जुलता है। कैलाश पर्वत जिसे शास्त्र में भगवान शिव का निवास स्थान माना गया।
कैलाश मंदिर बनाने में अनोखा ही तरीका अपनाया गया:-
किसी मंदिर या भवन को बनाते समय पत्थरों के टुकड़ों को एक के ऊपर एक जमाते हुए बनाया जाता है. कैलाश मंदिर बनाने में एकदम अनोखा ही तरीका अपनाया गया. यह मंदिर एक पहाड़ के शीर्ष को ऊपर से नीचे काटते हुए बनाया गया है. जैसे एक मूर्तिकार एक पत्थर से मूर्ति तराशता है, वैसे ही एक पहाड़ को तराशते हुए यह मंदिर बनाया गया.
गुफ़ाएँ:-
एलोरा में तीन प्रकार की गुफ़ाएँ हैं:
1. महायानी बौद्ध गुफ़ाएँ
2. पौराणिक हिंदू गुफ़ाएँ
3. दिगंबर जैन गुफ़ाएँ
इन गुफ़ाओं में केवल एक गुफ़ा 12 मंजिली है, जिसे ‘कैलाश मंदिर’ कहा जाता है। इसके अतिरिक्त इस मंदिर को बनाने का उद्देश्य, बनाने की टेक्नोलॉजी, बनाने वाले का नाम जैसी कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं है. मंदिर की दीवारों पर उत्कीर्ण लेख बहुत पुराना हो चुका है एवं लिखी गयी भाषा को कोई पढ़ नहीं पाया है।
पुरातत्वविदों ने निष्कर्ष निकाला है कि इस मंदिर को तराशने के लिए तीन प्रकार की छेनी का उपयोग किया गया था, जैसा कि उनके द्वारा इन पत्थर की दीवारों पर छेनी के निशान से देखा गया था। ऐसा माना जाता है कि मुख्य वास्तुकार द्वारा सामने की ओर से नक्काशी करने में दूर की कठिनाइयों के कारण इस मंदिर का निर्माण ऊपर से नीचे की ओर लंबवत रूप से किया गया है, जो कि जमीनी योजना के अनुसार निर्माण का अनुसरण करते हैं जैसा कि नीचे की तस्वीर में देखा गया है।
टेक्नोलॉजी:-
आज के समय ऐसा मंदिर बनाने के लिए सैकड़ों ड्राइंगस, 3D डिजाईन सॉफ्टवेयर, CAD
सॉफ्टवेयर, छोटे मॉडल्स बनाकर उसकी रिसर्च, सैकड़ों इंजीनियर, कई हाई क्वालिटी कंप्यूटरर्स की आवश्यकता पड़ेगी. उस काल में यह सब कैसे सुनिश्चित किया गया होगा? कोई जवाब नहीं हमारे पास. सबसे बड़ी बात तो यह है कि आज इन सब आधुनिक टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके भी शायद ऐसा दूसरा मन्दिर बनाना असम्भव ही है ।
अनुमानित अखंड संरचना का निर्माण करने के लिए अनुमानित 400,000 टन चट्टानों को 20 साल की लंबी अवधि में खत्म कर दिया गया था।
कैलाश मंदिर (Kailash Temple Timing):
Morning: 06:00 am to 12:00 pm
Evening: 05:00 pm to 08:00 pm
कैलाशनाथ मंदिर एलोरा प्रवेश शुल्क (Entry Fee)
Rs. 10 per person (Indians)
Rs. 250 per person (foreigners)
Rs. 25 per camera video photography
Note: Guide services at the ticket counter
यात्रा सुविधाएँ:-
BY ROAD: Aurangabad Bus station – 30 km
By Rail: Jalgaon Railway Station
By Air: Aurangabad Airport – 37 km
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https://youtu.be/8x4PSESiWKo?t=52
kailasa temple, kailash mandir kahan hai ?
महाराष्ट्र के
एलोरा में
कैलाश मंदिर
alora ka kailash mandir
महाराष्ट्र में
कैलाश मंदिर
किसने बनवाया?
राजा कृष्ण
प्रथम
ने
बनवाया
था।
Nature is very wonderful
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