आप केवल इतना भर जानते हैं कि चक्रव्यूह में #अभिमन्यु मारा गया था चक्रव्यूह में #अभिमन्यु मारा गया था

 

आप केवल इतना भर जानते हैं कि #चक्रव्यूह में #अभिमन्यु मारा गया था या फिर #कौरव महाबलियों ने उसे घेर कर मार दिया था?

तो फिर आप रुकिये..

#श्रीकृष्ण जिसके #गुरु हों और जो स्वंय #केशव ही का #भांजा भी हो। उसके शौर्य को फिर आधा ही जानते हैं आप तब। कुछ तथ्यों से आप वंचित हैं। क्योंकि उस लड़ाई में #अभिमन्यु ने जिन वीरपुत्र योद्धाओं को मार कर वीरगति पाई थी उनको भी जान लीजिये

दुर्योधन का पुत्र #लक्ष्मण
कर्ण का छोटा पुत्र.
अश्मका का बेटा
शल्या का छोटा भाई
शल्या के पुत्र रुक्मरथ
दृघलोचन Drighalochana
कुंडवेधी Kundavedhi
सुषेण Sushena
वसत्य Vasatiya
क्रथा और कई योद्धा ...

और ये तब था जब ... उस चक्रव्यूह को जिसे अभिमन्यु को भेदना था ..उसके प्रत्येक द्वार - पहले से लेकर सातवें पर योद्धाओं को देखिये -

१) अश्वथामा
२) दुर्योधन
३) द्रोणाचार्य
4) कर्ण
५) कृपाचार्य
६) दुशासन
7) शाल्व (दुशासन के पुत्र)

अभिमन्यु के प्रवेश के बाद ही #जयद्रथ ने प्रथम प्रवेशद्वार पर #पांडवों के प्रवेश को रोक दिया था।

चक्रव्यूह जो कि #कुरुक्षेत्र के सबसे खतरनाक युद्ध तंत्र में से एक था। वह चक्रव्यू जिसको भेदना असंभव था..

#द्वापरयुग में केवल 7 लोग ही जानते थे:

कृष्णा
अर्जुन
भीष्म
द्रोणाचार्य
कर्ण
अश्वत्थामा
प्रद्युम्न

#अभिमन्यु केवल उसमें प्रवेश करना जानता था
चक्रव्यूह को #घूर्णन_मृत्यु_चक्र (rotating death wheel) भी कहा जाता था ..

यह पृथ्वी की तरह घूमता था, साथ ही हर परत के चारों ओर घूमता था। इस कारण से, निकास द्वार हर समय एक अलग दिशा में मुड़ता था, जो दुश्मन को भ्रमित करता था।

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि #संगीत या #शंख ध्वनि के अनुसार, चक्रव्यूह के सैनिक अपनी स्थिति बदल सकते थे। कोई भी #कमांडर या #सिपाही स्वेच्छा में अपनी स्थिति नहीं बदल सकता था...द्रोण रचित चक्रव्यूह एक घूमते हुए चक्र #कुंडली की तरह था, अगर कोई योद्धा इस व्यूह के खुले हुए हिस्से में घुसता था तो मारे गए सैनिक की जगह तुरंत ही दूसरा अधिक शक्तिशाली सैनिक आ जाता था, सैनिकों की पंक्ति लगातार घूमती रहती थी और बाहरी सभी चक्र शक्तिशाली होते रहते थे।

इसलिए चक्रव्यूह में प्रवेश आसान था पर बाहर निकलने के लिए #योद्धा को व्यूह की किसी भी समय तात्कालिक स्थिति की जानकारी होना आवश्यक था और इसके लिए व्यूह के हर चक्र के एक योद्धा की स्थिति उसे याद रखनी पड़ती थी।

माना जाता है कि चक्रव्यूह का गठन दुश्मन को #मनोवैज्ञानिक और मानसिक रूप से इतना तोड़ देता था कि दुश्मन के हजारों सैनिक एक पल में मर जाते थे।

यह अकल्पनीय है कि यह रणनीति सदियों पहले "वैज्ञानिक रूप से" गठित की गई थी।

Comments

  1. वाह हमारी हिन्दू शिक्षा पद्धति , गर्व है ।

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