विद्याशंकर मंदिर, श्रृंगेरी
विद्याशंकर मंदिर, श्रृंगेरी
शृंगेरी (कन्नड : ಶೃಂಗೇರಿ), कर्नाटक के चिकमंगलूर जिला का एक तालुक है। आदि शंकराचार्य ने यहाँ कुछ दिन वास किया था और शृंगेरी तथा शारदा मठों की स्थापना की थी। शृंगेरी मठ प्रथम मठ है। यह आदि वेदान्त से संबंधित है। यह शहर तुंग नदी के तट पर स्थित है, व आठवीं शताब्दी में बसाया गया था।
शृंगेरी विरूर स्टेशन से ९० किमी दूर तुंगभद्रा नदी के वामतट पर छोटा-सा ग्राम है। शृंगेरी का नाम यहाँ से १२ किमी दूर स्थित शृंगगिरि पर्वत के नाम पर ही पड़ा, जिसका अपभ्रंश 'शृंगेरी' है। यह शृंगी ऋषि का जन्मस्थल माना जाता है। शृंगेरी में एक छोटी पहाड़ी पर शृंगी ऋषि के पिता विभांडक का आश्रम भी बताया जाता है।
विद्याशंकर मंदिर श्रृंगेरी, कर्नाटक में स्थित है। यह विशाल मंदिर कर्नाटक के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। माना जाता है कि 'विद्यारान्य' नाम के एक ऋषि ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। यहाँ आने वाले पर्यटक कई शिलालेख भी यहाँ देख सकते हैं, जो भारतीय इतिहास के प्रसिद्ध 'विजयनगर साम्राज्य' के योगदान को दर्शाते हैं। मंदिर के केन्द्रीय छत कि एक अन्य प्रमुख विशेषता यह है कि इस पर सुंदर वास्तुकला प्रदर्शित कि गयी है, जो इसकी सुंदरता को और बढ़ाते हैं। इतिहास श्रृंगेरी कि यात्रा पर आने वाले यात्रियों को 'विद्याशंकर मंदिर' अवश्य देखना चाहिए। इस तीर्थ स्थल का निर्माण 1338 ई. में 'विद्यारान्य' नाम के एक ऋषि द्वारा किया गया था, जो विजयनगर साम्राज्य के संस्थापकों के लिए संरक्षक थे और 14वीं सदी में यहाँ रहते थे। यह मंदिर द्रविड़, चालुक्य, दक्षिणी भारतीय और विजयनगर स्थापत्य शैली को दर्शाता है। पर्यटक यहाँ कई शिलालेख देख सकते हैं, जो विजयनगर साम्राज्य केयोगदान को दर्शाते हैं।
बारह स्तम्भ
इस आयताकार मंदिर में 12 खंभे शामिल हैं, जो कि राशि चक्र के खंभे के रूप में प्रसिद्ध हैं। इन सभी स्तंभों पर बारह राशियों की नक्काशियाँ प्रदर्शित की गई हैं, जिनकी रूपरेखा खगोलीय अवधारणाओं को विचार में रखकर तैयार की गई थी। एक गर्भगृह, जहाँ देवी दुर्गा और भगवान विद्यागणेश की मूर्तियों को देखा जा सकता है, मंदिर में मौजूद है। इसके अलावा भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान महेश्वर की मूर्तियां, उनकी पत्नियों की मूर्तियों के साथ गर्भगृह में देखे जा सकता है।
वास्तुकला
मंदिर के केन्द्रीय छत कि एक अन्य प्रमुख विशेषता यह है कि इस पर सुंदर वास्तुकला प्रदर्शित कि गयी है। इस स्थल पर छतें ढालवां मोड़ के लिए जानी जाती हैं। मंदिर के तहखाने में भगवान शिव, भगवान विष्णु, दशावतार, शंमुखा, देवी काली और विभिन्न प्रकार के जानवरों के सुंदर आंकड़े स्थापित किये गये हैं। यह मंदिर विद्यातिर्थ रथोत्सव के उत्सव के लिए जाना जाता है, जो कि कार्तिक शुक्ल पक्ष के दौरान आयोजित किया जाता है।
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