गुंजा के औषधीय उपयोग फायदे और नुकसान

 

गुंजा के औषधीय उपयोग फायदे और नुकसान

आयुर्वेद में दोनों ही प्रकार की रत्ती या गुंजा को बालों के लिए हितकारी, बलदायक, और वात, पित्त, ज्वर, मुखशोष, भ्रम, श्वास, अधिक प्यास, त्वचा रोगों, गंजापन, और कोढ़ को नष्ट करने वाला माना गया है।

                                              Contents - अंतर्वस्तु 

·         गुंजा के झाड की सामान्य जानकारी | Gunja Information in Hindi

·         गुंजा के स्थानीय नाम | Synonyms of Gunja Plant in Hindi

·         गुंजा के आयुर्वेदिक गुण और कर्म | Ayurvedic properties of Gunja in Hindi

o    3.1 जड़ें

o    3.2 बीज Seeds

·         रत्ती या गुंजा के औषधीय उपयोग | Medicinal Uses of Gunja (Ratti) in Hindi

o    4.1 आंतरिक उपयोग Internal Uses

o    4.2 बाहरी उपयोग External Uses

·         गुंजा के बीज प्रयोग की चेतावनी / सावधानी

 

गुंजा एक औषधीय पौधा है। यह एक लता जाति की वनस्पति है। इसकी पत्तियां इमली के पत्तों जैसी होती है और पुष्प गुच्छे में गुलाबी रंग के होते है। यह पुष्प सेम की ही तरह ही दिखते हैं। लता में सर्दियों में पुष्प आते है। इसकी शिम्बी छोटी होती है जिसके अन्दर बीज होते है। इसकी दो प्रजातियाँ उपलब्ध हैं, सफ़ेद बीज और लाल/रक्त बीज वाली। आयुर्वेद में श्वेत गुंजा के पर्याय उच्चटा और कृष्णला हैं जबकि रक्त गुंजा को काकचिंची, काकणन्ती, रक्तिका, ककाद्नी, काकपीलू, काकवल्लरी हैं।

 

हिंदी में गुंजा को घुंघुची, चौंटली, चिरमिटी, और रत्ती के नाम से जाना जाता है। प्राचीन समय में इसी के बीजों को आयुर्वेद की दवा और आभूषण बनाने में माप की तरह प्रयोग किया जाता था जो की रत्ती कहलाता था। रत्ती के १०० बीजों का वज़न करीब १२ ग्राम होता है।

आयुर्वेद में दोनों ही प्रकार की रत्ती या गुंजा को बालों के लिए हितकारी, बलदायक, और वात, पित्त, ज्वर, मुखशोष, भ्रम, श्वास, अधिक प्यास, त्वचा रोगों, गंजापन, और कोढ़ को नष्ट करने वाला माना गया है।

गुंजा की जड़ मुलेठी की तरह मिठास लिए हुए होती है। इसलिए कभी-कभी इसे मुलेठी में मिलावट के लिए भी प्रयोग किया जाता है।

गुंजा का बीज विष के समान है। इसके सांप के विष जैसे प्रभाव देखे गए हैं। आयुर्वेद में इसके बीजों को केवल शोधन के बाद ही बहुत कम मात्रा में प्रयोग करते हैं। अशुद्ध बीजों के सेवन से हैजे जैसे लक्षण होते हैं। आँख में जाने पर बीज जलन, सूजन, आदि लक्षण प्रकट होते हैं। खुले घाव पर गुंजा के बीजों का लेप नहीं करना चाहिए।

गुंजा के झाड की सामान्य जानकारी | Gunja Information in Hindi

·         वानस्पतिक नाम: Abrus precatorius एब्रस प्रीकटोरियस

·         कुल (Family): फेबेसी (Fabaceae)

 

औषधीय उद्देश्य के लिए इस्तेमाल भाग: पत्ते, फल, जड़।

पौधे का प्रकार: बेल

वितरण: यह पूरे भारत में पायी जानी वाली बेल है। भारत के अतिरिक्त यह लंका, थाईलैंड, फिलिपीन्स, साउथ चीन, और वेस्ट इंडीज में भी पाई जाती है।

पर्यावास: सूखे इलाकों में।

जहरीले हिस्से: बीज

 

गुंजा के स्थानीय नाम | Synonyms of Gunja Plant in Hindi

·         Ayurvedic: Gunja, Gunjaka, Chirihintikaa, Raktikaa, Chirmiti, Kakanti, Kabjaka, Tiktikaa, Kakananti, Kaakchinchi गुंजा, गुन्जका, चिरीहिन्तिका, रक्तिका, चिरमिटी, काकान्ति, कब्जका, तिक्तिका

·         Unani: Ghunghchi, Ghamchi

·         Siddha: Kunri

·         Assamese: Rati

·         Bengali: Kunch, Shonkainch

·         English: Indian Wild Liquorice, Jequirity, Crab’s Eye, Precatory Bean, Rosary Pea, JohnCrow Bead, Precatory bean, Indian licorice, Akar Saga, Giddee Giddee, Jumbie Bead

·         Gujrati: Rati, Chanothee

·         Hindi: Ratti, Ghungchi

·         Kannada: Galuganji, Gulagunjee

·         Malayalam: Kunni, Cuvanna Kunni

·         Marathi: Gunja

·         Oriya: Kainch

·         Punjabi: Ratti

·         Sanskrit: Gunja, Raktika, Kakananti

·         Telugu: Guriginia, Guruvenda

·         Tamil: Gundumani, Kundumani

·         Urdu: Ghongcha, Ratti

 

गुंजा के आयुर्वेदिक गुण और कर्म | Ayurvedic properties of Gunja in Hindi

औषधीय उपयोगों ले लिए रत्ती के पत्तों, जड़ों और बीजों का प्रयोग किया जाता है। पत्तों और जड़ों का प्रयोग औषधीय मात्रा में करने से कोई हानि नहीं है। लेकिन बीजों का प्रयोग करते समय सावधानी चाहिए। कभी भी बीजों को लता से लेकर सीधे ही इस्तेमाल करें क्योंकि बिना शोधित बीज का सेवन जानलेवा हो सकता है। बीज के लेप की तरह इस्तेमाल करते हुए भी यह ध्यान रखे कि लेप आँखों और खुले घाव पर लगे।

जड़ें

·         रस (taste on tongue): मधुर, तिक्त

·         गुण (Pharmacological Action): शीत, रुक्ष

·         वीर्य (Potency): शीत

·         विपाक (transformed state after digestion): मधुर

·         कर्म: केश्य, पित्तहर, वातहर

·         आयुर्वेद में प्रयोग: गंज, दर्द, मुखशोष (जड़);

·         आयुर्वेदिक दवा: नीलीभ्रिंगादी तेल (जड़ का प्रयोग)

·         औषधीय मात्रा: जड़ : - ग्राम;

 

बीज Seeds

·         रस (taste on tongue): तिक्त, कषाय

·         गुण (Pharmacological Action): लघु, रुक्ष, तीक्ष्ण

·         वीर्य (Potency): उष्ण

·         विपाक (transformed state after digestion): कटु

·         कर्म: कुष्ठ, व्रण, वात व्याधि, इन्द्र्लुप्त

 

रत्ती या गुंजा के औषधीय उपयोग | Medicinal Uses of Gunja (Ratti) in Hindi

आयुर्वेद में गुंजा या रत्ती को नर्वस दुर्बलता, पुरानी खाँसी, मुख रोग आदि के उपचार में प्रयोग किया जाता है और बाहरी रूप से श्वेतदाग, खालित्य या गंज, साइटिका, जोड़ों की जकड़न, कुष्ठ रोग और पक्षाघात में लगाया जाता है।

जड़ों और पत्तियों को औषधीय रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन बीज जहरीले होते हैं। कभी भी बीजों को बिना शोधन के प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। कुछ ही बीजों का सेवन जान ले सकता है।

 

आंतरिक उपयोग Internal Uses

मुंह में छाले, मुँह के घाव, सांस की बदबू, स्वर बैठना, ब्रोन्कियल संकोचन Blisters in mouths, mouth sores, bad breath, hoarseness of voice, bronchial constrictions

कुछ पत्तों को चबाने से मुख रोगों में लाभ होता है।

 

रक्त विकार, मासिक धर्म में अधिक खून जाना, प्रदर की समस्या, खूनी बवासीर

गूंजा की पत्तियों के काढ़े को पीने से लाभ होता है। लगभग 5 ग्राम स्वच्छ पत्ते ले और उन्हें कुचल कर 150 मिलीलीटर पानी में उबाल लें। जब पानी एक चौथाई रह जाये फ़िल्टर करें और पी लें। कुछ दिन नियमित रूप से खाली पेट पियें।

 

लिकोरिया Leucorrhea

5 ग्राम जड़ का पाउडर एक दिन में दो बार, तीन दिनों तक लें।

 

विरेचक Laxative

गुंजा की दस ताजा पत्तियों चबाने से लाभ होता है।

 

मधुमेह Mild diabetes

गुंजा की कुछ ताजी पत्तियों चबा कर खाएं।

 

खांसी Cough, congestion

रत्ती की जड़ का चूर्ण 3-4 ग्राम लेकर, एक गिलास पानी में उबाल कर काढ़ा बनाये। एक दिन में दो बार इस काढ़े का सेवन करें।

 

टॉनिक, शारीरिक कमजोरी Tonic, physical weakness

जड़ का पाउडर + मिसरी, दूध के साथ एक दिन में दो बार लें।

आंत में संक्रमण, कोलाइटिस, अल्सर Colitis, ulcer, infection in intestine

जड़ों (5 ग्राम) का काढ़ा बनाकर दिन में दो बार पीने से लाभ होता है।

मूत्र सम्बंधित रोग Urinary trouble

गुंजा मूत्र है। इसके सेवन से अधिक मूत्र बनता है और मूत्र रोगों में फायदा होता है। जड़ का पाउडर 5 ग्राम + पुराना गुड़, एक दिन में, दो बार, 5 दिनों तक सेवन करें।

सर्पदंश और बिच्छू डंक Scorpion sting and snakebite

रूट पाउडर गाय के दूध के साथ लिया जाता है।

बाहरी उपयोग External Uses

कटिस्नायुशूल, कंधे की जकड़न, पक्षाघात और अन्य तंत्रिका रोग Sciatica, stiffness of the shoulder joint, paralysis and other nervous diseases

बीज का पेस्ट, प्रभावित जगहों पर बाहरी रूप से लगाया जाता है।

व्हाइट कुष्ठ रोग, ल्यूकोडरमा धब्बे White leprosy, leucodermatic spots

रत्ती के बीज + चित्रक की जड़ का पेस्ट, प्रभावित जगहों पर बाहरी रूप से नियमित रूप से एक महीने के लिए लगाया जाता है।

खालित्य, गंजापन Alopecia, baldness

गुंजा के बीज का पेस्ट सिर पर मल कर लगाया जाता है।

गुंजा के बीज प्रयोग की चेतावनी / सावधानी

·         इस पौधे में गर्भान्तक abortifacient गुण है। गर्भावस्था pregnancy में इस्तेमाल करें।

·         पत्तियों के अत्यधिक सेवन से विरेचन purgation और उल्टियों vomiting होती है।

·         इसके बीज के चिकित्सकीय प्रयोग के लिए केवल शोधित बीजों detoxified seedss का ही प्रयोग होता है।

·         बीज पुरुष और महिला दोनों में antifertility प्रभाव डालते है। दुनिया के कुछ भागों में, बीज गर्भनिरोधक contraception और गर्भपात abortion के लिए प्रयोग किये जाते है।

·         बीज जहरीले poisonous होते है।

·         आंखों के साथ बीज के संपर्क नेत्रश्लेष्मलाशोथ conjunctivitis और अंधापन blindness पैदा कर सकता है।

·         बीजों के पेस्ट को घाव पर लगाएं।

·         बीज का आन्तरिक सेवन जठरांत्र, जिगर, तिल्ली, गुर्दे, और लसीका प्रणाली gastrointestinal tract, the liver, spleen, kidney, and the lymphatic system को प्रभावित कर सकता है।

विषाक्तता के लक्षण कुछ घंटों से कई दिनों के बाद प्रकट हो सकते है। इसके कुछ लक्षण में शामिल हैं: गंभीर आंत्रशोथ, मतली, उल्टी, मांसपेशियों में कमजोरी, पसीना, कांपना और असामान्य रूप से दिल की दर में तेजी आदि। प्राथमिक चिकित्सा के रूप में उल्टी दिलायें।

बीज के जहरीले प्रभाव के बारे में बच्चों को शिक्षित करें।



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