ब्रह्मपुत्र नदी को 'पूर्वोत्तर का अभिशाप' भी कहा जाता है।

ब्रह्मपुत्र नदी को 'पूर्वोत्तर का अभिशाप' भी कहा जाता है।

कहानी शुरू होने के पहले छोटी-सी जानकारी दे दें

ब्रह्मपुत्र नदी को 'पूर्वोत्तर का अभिशाप' भी कहा जाता है।

इसका कारण है कि जब यह असम तक पहुँचती है तो अपने साथ लम्बी दूरी से बहाकर लायी हुई मिटटी, रेत और पहाड़ी, पथरीले अवशेष विशाल 'द्रव मलबे' के रूप में लाती है, जिससे नदी की गहराई अपेक्षाकृत कम हो चौड़ाई में फैल किनारे के गाँवों को प्रभावित करती है। मानसून में इसके चौड़े पाट हर वर्ष पेड़-पौधों, हरियाली और गाँवों को अपने संग बहा ले जाते हैं। ब्रह्मपुत्र नदी का विशालता से फैला हरियाली रहित, बंजर रेतीला तट लगभग रेगिस्तान लगता था।

चलिए, अब आते हैं हमारे कहानी के नायक  " जाधव पियेंग " पर।

वर्ष 1979 में जाधव 10वीं परीक्षा देने के बाद अपने गाँव में ब्रह्मपुत्र नदी के बाढ़ का पानी उतरने पर इसके बरसाती भीगे रेतीले तट पर घूम रहे थे।

तभी उनकी दृष्टि लगभग 100 मृत साँपों के विशाल गुच्छे पर पड़ी। आगे बढ़ते गए तो पूरा नदी का किनारा मरे हुए जीव-जन्तुओं से अटा पड़ा एक मरघट-सा था। मृत जानवरों के शवों के कारण पैर रखने की जगह नहीं थी।इस दर्दनाक सामूहिक निर्दोष मौत के दृश्य ने जाधव के किशोर मन को झकझोर दिया।

हज़ारों की संख्या में निर्जीव जीव जन्तुओं की निस्तेज फटी मुर्दा आँखों ने जाधव को कई रात सोने दिया। गाँव के ही एक आदमी ने चर्चा के दौरान विचलित जाधव से कहा - जब पेड़-पौधे ही नहीं उग रहे हैं तो नदी के रेतीले तटों पर जानवरों को बाढ़ से बचने आश्रय कहाँ मिले? जंगलों के बिना इन्हें भोजन कैसे मिले?

बात जाधव के मन में पत्थर की लकीर बन गयी कि जानवरों को बचाने के लिये पेड़-पौधे लगाने होंगे।

50 बीज और 25 बाँस के पेड़ लिए 16 वर्ष का जाधव पहुँच गया नदी के रेतीले किनारे पर रोपने। ये आज से 35 वर्ष पुरानी बात है। उस दिन का दिन था और आज का दिन। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि इन 35 वर्षों में जाधव ने 1360 एकड़ का जंगल बिना किसी सरकारी सहायता के लगा डाला?

क्या आप भरोसा करेंगे के एक अकेले आदमी के लगाये जंगल में 5 बंगाल टाइगर, 100 से ज्यादा हिरन, जंगली सुअर, 150 जंगली हाथियों का झुण्ड, गेंडे और अनेक जंगली पशु घूम रहे हैं? अरे हाँ! साँप भी जिन्होंने इस अद्भुत नायक को जन्म दिया।

जंगलों का क्षेत्रफल बढ़ाने सुबह 9 बजे से 5 किलोमीटर साईकल से जाने के बाद, नदी पार करते और दूसरी तरफ वृक्षारोपण कर फिर साँझ ढले नदी पारकर साईकल 5 किलोमीटर तय कर घर पहुँचते। 

इनके लगाये पेड़ों में कटहल, गुलमोहर, अन्नानास, बाँस, साल, सागौन, सीताफल, आम, बरगद, शहतूत, जामुन, आडू और कई औषधीय पौधे हैं। परन्तु सबसे आश्चर्यजनक और दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य यह है कि इस असम्भव को सत्य कर दिखानेवाले साधक से महज़ 5 वर्ष पहले तक देश अनजान था। यह लौहपुरुष अपने धुन में अकेला असम के जंगलों में साईकल में पौधों से भरा एक थैला लिए अपने बनाए जंगल में गुमनाम सफर कर रहा था।

सबसे पहले वर्ष 2010 में देश की दृष्टि में आये जब wild photographer जीतू कलिता ने इन पर documentary film बनाई 'The Molai Forest' यह film देश के नामी विश्वविद्यालयों में दिखाई गयी। दूसरी फिल्म आरती श्रीवास्तव की 'Foresting Life' जिसमें जाधव के जीवन के अनछुए पहलुओं और परेशानियों को दिखाया। तीसरी फिल्म 'Forest Man' जो विदेशी फिल्म महोत्सव में भी काफी सराही गई।

एक अकेला व्यक्ति वन विभाग की सहायता के बिना, किसी सरकारी आर्थिक सहायता के बिना इतने पिछड़े इलाके से कि जिसके पास पहचान पत्र के रूप में राशन कार्ड तक नहीं है, ने हज़ारों एकड़ में फैला पूरा जंगल खड़ा कर दिया। जाननेवाले सकते में गए उनके नाम पर असम के इन जंगलों को 'मिशिंग जंगल' कहते हैं (जाधव #असम की #मिशिंग जनजाति से हैं) जीवनयापन करने के लिए इन्होंने गाय पाल रखी हैं। शेरों द्वारा आजीविका के साधन उनके पालतू पशुओं को खा जाने के बाद भी जंगली जानवरों के प्रति इनकी करुणा कम हुई। शेरों ने मेरा नुकसान किया क्योंकि वो अपनी भूख मिटाने के लिए खेती करना नहीं जानते।

आप जंगल नष्ट करोगे वो आपको नष्ट करेंगे। एक साल पहले महामहिम राष्ट्रपति द्वारा देश के चतुर्थ सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'पद्मश्री' से अलंकृत होनेवाले जाधव आज भी असम में बाँस के बने एक कमरे के छोटे-से कच्चे झोपड़े में अपनी पुरानी में दिनचर्या लीन हैं। तमाम सरकारी प्रयासों, वृक्षारोपण के नाम पर लाखो रुपये के पौधों की खरीदी करके भी ये पर्यावरण, वन-विभाग वो स्थान प्राप्त कर पाये जो एक अकेले की इच्छाशक्ति ने कर दिखाया। साईकल पर जंगली पगडण्डियों में पौधों से भरे झोले और कुदाल के साथ हरी-भरी प्रकृति की अनवरत साधना में ये निस्वार्थ पुजारी।

ढेर सारी शुभकामनायें जाधव जी! आपने अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता कहावत गलत सिद्ध कर दी।

निवेदन करते हैं पर्यावरण के लिए असीम स्नेह से भीगी इस भारत माँ के लाल के बारे में जानकारी को दूसरों तक भी पहुँचाकर सजग बनाएं।

Etymology

Sanskrit; Brahmaputra for Son (Putra) of Brahmā

Location

Countries

China

 

India

 

Bangladesh

Autonomous Region

Tibet

Cities

Dibrugarh

 

Jorhat

 

Tezpur

 

Guwahati

 

Dhubri

 

Sirajganj

 

Mymensingh

Physical characteristics

Source

Angsi Glacier, Manasarovar

 • location

Himalayas

 • coordinates

30°23′N 82°0′E

 • elevation

5,210 m (17,090 ft)

Mouth

Ganges

 • location

Ganges Delta

 • coordinates

25°13′24″N 89°41′41″ECoordinates: 25°13′24″N 89°41′41″E

 • elevation

0 m (0 ft)

Length

Mapped 3,969 km (2,466 mi).[1]

Basin size

712,035 km2 (274,918 sq mi)

Discharge

 • average

19,800 m3/s (700,000 cu ft/s)

 • maximum

100,000 m3/s (3,500,000 cu ft/s)

Basin features

 

Tributaries

 • left

Lhasa River, Nyang River, Parlung Zangbo, Lohit River, Dhansiri River, Kolong River

 • right

Kameng River, Manas River, Beki River, Raidak River, Jaldhaka River, Teesta River, Subansiri River

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