मांजा लगाकर पतंग क्यों ना उड़ायें – Manjha and kite flying

 




मांजा लगाकर पतंग क्यों ना उड़ायें – Manjha and kite flying

मांझा लगाकर पतंग उड़ाना और दूसरे की पतंग काटना यह मकर संक्राति की पहचान बन गया है। लोग सुबह से ही छत पर पहुँच जाते हैं और पतंग उड़ाकर ख़ुशी मनाते हैं। लेकिन त्यौहार का मजा किसी अन्य के लिए तकलीफ का कारण बन जाये तो त्यौहार की ख़ुशी खुद को ही कचोटने लगती है।

 

मांजा लगाने का परिणाम

पतंग की डोर में जोड़े जाने वाले मांझे के कई परिणाम अच्छे नहीं होते। दूसरे की पतंग काटने के लिए सबसे ज्यादा तेज धार युक्त मांझा काम में लिया जाता है। कुछ लोग अधिक से अधिक तेज मांजा बनाने के तरीके में काँच , प्लास्टिक तथा धातु के कण आदि चीजों का उपयोग भी कर लेते हैं।

 

मांझा आसमान में उड़ते पक्षियों के लिए प्राणघातक हो जाता है। यह मांजा पक्षियों के पंख या पैर में उलझ जाता है और पक्षी घायल होकर जमीन पर गिरता है। कभी कभी उसकी गर्दन में फंसकर उसकी मौत का कारण बन जाता है। इस तरह कई निरीह पक्षी पतंगबाजी के कारण अकारण ही मारे जाते हैं।

 

मांजे से दिक्कत क्या सिर्फ एक दिन होती है

नहीं। हमारी एक दिन की पतंगबाजी पक्षियों के लिए महीनों तक मुसीबत का कारण बनी रहती है क्योंकि कटी हुई पतंगों के धागे पेड़ों , इमारतों और खम्बों पर झूलते रहते हैं। पक्षी अधिकतर ऐसी जगह ही अधिक आते हैं। ये धागे पक्षियों के पंख या पैर में उलझ कर उन्हें घायल करते हैं और उन्हें तड़प तड़प कर मरने पर मजबूर कर देते हैं।

 

मांजा लगाने से हमें नुकसान

हमारे लिए मांजा

पतंग की डोर का मांझा इतना अधिक धार वाला बनाया जाने लगा है कि यह सिर्फ पक्षियों के लिए ही नहीं बल्कि खुद हमारे लिए भी प्राणघातक होने लगा है। दोपहिया वाहन चलाने वाले कई लोग इसका शिकार बन जाते हैं और घायल होकर लहूलुहान अवस्था में पहुंच जाते हैं।

 

मांझे से बच्चों को नुकसान

बच्चों के लिए मांझा

बच्चों को इस तेज मांझे से बहुत अधिक खतरा होता है। उनकी नाजुक अंगुलियाँ तेज मांजा लगाकर पतंग उड़ाने से कट जाती हैं जो इन्फेक्शन का कारण बन सकता है। अंगुली में कट लगने के कारण अगले कुछ दिनों तक बच्चे दर्द के कारण लिख भी नहीं पाते। इससे उनकी पढ़ाई डिस्टर्ब होती है। उनके लिए अपने हाथ से खाना पीना मुश्किल हो जाता है।

 

इसके अलावा मांजा बिजली के तार को छूने से करंट लगने की घटना भी होती रहती हैं। जिसका कारण मांजे का गीला होना या मांजे में मौजूद धातु के कण जिम्मेदार होते हैं। विशेषकर चाइनीज़ मंजे में धातु के कण होने की संभावना अधिक होती है। ऐसा मांजा बिल्कुल भी उपयोग में नहीं लेना चाहिए।

क्या सिर्फ चाइनीज मांझा नुकसानदायक

कुछ लोग सिर्फ चायनीज मांजे को ही इस तरह के नुकसान के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं। चीन को बुरा भला कहकर मुक्त हो जाते है। हो सकता है कि शुरू में इस प्रकार का मांझा चीन से आता हो लेकिन कहा जाता है कि उसी तरह का मांजा अब हमारे यहाँ भी बन रहा है , जिसमें प्लास्टिक और धातु या काँच का उपयोग होता है।

असल में मांजे का उपयोग होना ही मुसीबत का कारण बन रहा है। सादा कॉटन की डोर उतनी हानिकारक नहीं होती जितना मांझा होता है। इसलिए पतंग उड़ानी हो तो खुद को और पशु पक्षियों को नुकसान नहीं पहुंचे इस तरह उड़ानी चाहिए।

 

मांझे के नुकसान से कैसे बचें

सुबह और शाम के समय जब पक्षी आकाश में अधिक होते हैं तब पतंग नहीं उड़ानी चाहिए। मांझा लगाकर पतंग उड़ाने की बजाय सादा डोर काम में लेनी चाहिए। जहाँ पेड़ पौधे और पशु पक्षी अधिक पाए जाते हों उसके आस पास पतंग नहीं उड़ानी चाहिए। बची हुई डोर को लपेट कर फेंकना चाहिए। पक्षी को धायल अवस्था में देखें तो उसे तुरंत पक्षी देखभाल सम्बन्धी उपचार केंद्र ले जाना चाहिए ताकि उसका सही तरीके से उपचार हो सके।

 

छोटे बच्चों को गीली डोर का उपयोग करने से मना करें। मांझे की जगह सादा डोर ही काम में लेने दें। बिजली के तारों के आस पास पतंग ना उड़ाएं। दोपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट अवश्य पहने। उसका ग्लास भी लगाकर रखें। हो सके तो गले में मफलर लगा लेना चाहिए। ताकि गले का बचाव हो सके।

 

टाइम्स ऑफ़ इंडिया में छपी खबर के अनुसार NGT द्वारा किसी भी नायलॉन या सिंथेटिक पदार्थ तथा धातु के उपयोग से बने मांजे पर प्रतिबन्ध लगाया जा चुका है। क्योंकि यह मांजा हमारे लिए और पर्यावरण के लिए खतरनाक है। इसे बनाना , बेचना , संग्रह करके रखना , खरीदना और काम में लेना प्रतिबंधित किया गया है।

सरकार द्वारा प्रयास जारी हैं लेकिन जब तक हम खुद मांजे का उपयोग करना बंद कर नहीं करेंगे , नुकसान भुगतते रहेंगे। यदि हम मांजा खरीदेंगे नहीं तो बाजार में मांजा मिलना अपने आप ही बंद हो सकता है।

 

कृपया यह बातें अन्य लोगों तक भी पहुंचायें। इस प्रयास से यदि मांझे से होने वाला एक नुकसान भी बच जाये तो यह सभी के लिए सार्थक होगा।

 

चाइनीज मांझे की खरीद-बिक्री पर रोक, पुलिस की अपील, करें नायलॉन के मांझे का इस्तेमाल

दिल्ली की तरह महाराष्ट्र सरकार को भी हर तरह के मांझे पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। जब तक ऐसा नहीं होगा, हर साल बेजुबान पक्षी पतंगबाजी का शिकार होते रहेंगे।


मकर संक्रांति के मौके पर देश के कई दूसरे शहरों की तरह ही मुंबई में भी पतंग उड़ाने का चलन है। हालांकि पतंगबाजी के इस खेल में हर साल पचासों पक्षियों की जान चली जाती है। इसकी वजह है पतंगबाजी में इस्तेमाल होने वाला चाइनीज मांझा। मुंबई पुलिस ने इसकी बिक्री पर पाबंदी लगा दी है, साथ ही इसके निर्यात, भंडारण और उपयोग पर भी बैन लगा दिया है। इसका इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की बात पुलिस प्रवक्ता एस. चैतन्य ने कही है।गौरतलब है कि मकर संक्रांति पर लोग नायलॉन मांझे से पतंग उड़ाते हैं। यह मांझा प्लास्टिक से बनी होता है। इसमें विभिन्न प्रकार के केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे इसकी धार तेज बनी रहे। पतंग कटने के बाद जब मांझा किसी बाइक सवार के गले, पक्षियों के पंखों में फंसता है, तो कटने का बड़ा खतरा रहता है। कई बार तो इससे जान तक जोखिम में पड़ जाती है।

पशु-पक्षी प्रेमी विजय रंगारे ने बताया कि चाइनीज मांझे की जद में आकर हर साल 50 से 60 पक्षियों की जान महानगर में चली जाती है। इसके तेज धार की चपेट में आने से बाइक सवार या पैदल चलने वाले भी गंभीर रूप से जख्मी हो जाते हैं। सरकार को चाहिए कि मांझे की पूर्ण रूप से खरीद-बिक्री को गैरकानूनी घोषित कर दे।

2017: 
वाडाला निवासी इंजिनियर गीतेश पठारे की विलेपार्ले में चीनी मांझा के चपेट में आने से मौत हो गई थी।

2009: 
मीरा रोड निवासी संतोष शेट्टी चीनी मांझा की जद में आने से बोरीवली में गंभीर रूप से जख्मी हो गया था।

कब, कितने पक्षी हुए शिकार

2017 में 160

2018 में 73


2019 में 78


2020 में 65

यहां करें कॉल

किसी को कोई घायल पक्षी या जानवर मिलता है, तो मदद के लिए 022-24137518 और 022-24135285 पर संपर्क कर सकते हैं।

पतंगबाजी से हो सकती है शहर की बिजली गुल

मकर संक्रांति के दौरान होने वाली पतंगबाजी पूरे शहर के लिए परेशानी का सबक बन सकती है। खतरे की संभावना को देखते हुए विद्युत कंपनियों ने लोगों से ओवरहेड पावर ट्रांसमिशन लाइंस के करीब पतंगबाजी नहीं करने की अपील की है। कंपनियों के अनुसार, मांझे के बिजली के तार के संपर्क में आने से पतंग उड़ाने वाले की जान को तो खतरा रहता ही है, पवार ग्रिड को भी नुकसान पहुंच सकता है, इसलिए मुंबई की बिजली आपूर्ति प्रभावित हो सकती है। कोई भी दुर्घटना होने पर बिजली कंपनियों ने पावर हेल्प लाइन नंबर 19122 जारी किया है।

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