मैं कौन हूँ पर
मैं कौन हूँ पर
मैं एकमात्र व्यक्ति हूं जो पूरी तरह से अपने आप को जानता हूं। हालांकि जब भी लोग मुझसे अपने बारे में कुछ बताने के लिए कहते हैं तो मैं अक्सर उलझन में पड़ जाता हूँ। मैं ज्यादातर समय यह सोच कर घबरा जाता हूँ कि मुझे कहना क्या है। बहुत से लोग इस परेशानी का अनुभव करते हैं और यह अक्सर बहुत शर्मनाक होता है जबकि हम खुद को अच्छी तरह जानते हैं। हमें पता होना चाहिए कि कैसे खुद को परिभाषित करना है। क्या आपके साथ ऐसा हुआ है कि एक साक्षात्कार के दौरान आपको अपने बारे में कुछ पंक्तियां बोलने के लिए कहा गया हो और आप चुप-चाप गूंगे की तरह बैठे रहे? जीं हा, ज्यादातर लोग इस समस्या का सामना करते हैं। क्या यह विडंबना नहीं है कि हम खुद को परिभाषित करने में सक्षम नहीं हैं?
मैं कौन हूँ?: स्वयं को कैसे पहचानें?
क्या आपने कभी खुद से पूछा है कि, 'वास्तव में कौन हूँ?' क्या मैं एक पिता, एक पति, एक मित्र, एक इंजीनियर, एक मुसाफिर या एक मरीज़ हूँ? सच्चाई यह है कि एक पुत्र के आधार से आप पिता हो। पत्नी के आधार से आप पति हो । आप ट्रेन में प्रवास कर रहे हो इसलिए आप मुसाफिर हो। आपकी सभी पहचानें, जो कुछ भी आप मान रहे है, वह सभी दूसरों के आधारित है। तो फिर, आप स्वयं कौन हो? एक पिता, एक पति या एक मुसाफिर?
‘मैं कौन हूं?’, इस प्रश्न का उत्तर नहीं जानने से, आप स्वयं की नई पहचान बनाते रहते हैं, इसके परिणाम स्वरुप आप अपने सच्चे स्वरुप से दूर होते चले जाते हैं। जीवन में सारे दुःख अपनी असली पहचान ना जानने के कारण है। जब तक आप अपने सच्चे स्वरुप का अनुभव नहीं करते, तब तक आप खुद को उस नाम से मानते हैं जो आपको दिया गया है।
तो आप कौन हो? वास्तविकता में, आप एक शाश्वत आत्मा हो। अनंत जन्मों से आत्मा अज्ञानता के आवरण में था। इसके कारण, हम स्वयं का अनुभव करने में असमर्थ रहे है | ज्ञानीपुरुष की कृपा से अब ज्ञानविधि नामक वैज्ञानिक प्रयोग के माध्यम से अपने वास्तविक स्वरुप का अनुभव कर सकते है । इसके बाद, आप को न केवल शुद्धात्मा की समझ, बल्कि सच्चे सुख का अनुभव प्राप्त होगा ।
स्वयं की पहचान जानने के उत्सुक हो तो, यहाँ आगे पढ़िए |
शरीर अलग चीज़ है , आत्मा अलग चीज़ है और दोनों मिलकर जीवात्मा अर्थात जीवित आत्मा बनती है। जीवित आत्मा का मतलब है शरीर सहित काम करने वाली चैतन्य शक्ति। नहीं तो यह आत्मा भी काम नहीं कर सकती और यह शरीर भी काम नहीं कर सकता।
इसका मिसाल एक motor और driver से दिया गया है। जैसे motor होती है , driver उसके अंदर है तो motor चलेगी , driver नहीं है तो motor नहीं चलेगी। मतलब यह है कि आत्मा , (एक भाई ने कहा - वायु है ), वायु नहीं है। पृथ्वी ,जल ,वायु ,अग्नि और आकाश - ये 5 जड़ तत्व तो अलग हैं जिनसे यह शरीर बना है।
इन 5 तत्वों से बने शरीर से आत्मा निकल जाती है तो भी शरीर के अंदर 5 तत्व रहते है। उनको जलाया जाता है या मिट्टी में दबाया जाता है। वे तो जड़ तत्व हैं लेकिन आत्मा उनसे अलग क्या चीज है ? वह मन और बुद्धि स्वरुप अति सूक्ष्म ज्योतिर्बिंदु है , जिसको गीता में कहा गया है - (अनोर्नियांसमनुस्मरेत यः। ) गीता 8 /9 श्लोक।
अर्थात अनु से भी अनुरूप बताया। अनु है लेकिन ज्योतिर्मय है। मन -बुद्धि को ही आत्मा कहा जाता है। वेद की एक ऋचा में भी बात आई है- 'मनरेव आत्मा ' अर्थात मन को ही आत्मा कहा जाता है। आदमी जब शरीर छोड़ता है अर्थात आत्मा जब शरीर छोड़ती है तो ऐसे थोड़े ही कहा जाता है कि मन -बुद्धि रह गई और आत्मा चली गई। सब कुछ है, लेकिन मन -बुद्धि की शक्ति चली गई अर्थात आत्मा चली गई।
तो मन -बुद्धि की जो power है वास्तव में उसका ही दूसरा नाम आत्मा है। मन -बुद्धि में इस जन्म के और पूर्व जन्मो के संस्कार भरे हुए हैं। संस्कार का मतलब है - अच्छे बुरे जो कर्म किये जाते हैं , उन कर्मों का जो प्रभाव बैठ जाता है उसको कहते हैं 'संस्कार'।
जैसे किसी परिवार में कोई बच्चा पैदा हुवा ,वह कसाइयों का परिवार है , बचपन से ही वहां गाय काटी जाती है ,जब बच्चा बड़ा हो जाये ,उससे पूछा जाय कि तम गाय काटते हो , बड़ा पाप होता है , तो उसकी बुद्धि में नहीं बैठेगा ; क्योंकि उसके संस्कार ऐसे पक्के हो चुके हैं।
इसी तरीके से ये संस्कार एक तीसरी चीज़ है। तो मन -बुद्धि और संस्कार - ये 3 शक्तियां मिक करके आत्मा कही जाती है।
मैं आत्मा कौन हूँ?
यहाँ तक तो हम जान गए कि हम सभी आत्मा है। जैसे हरेक मनुष्यों के अलग शरीर होते है, जानवरों के अलग शरीर होते है। एक का चेहरा दूसरे से नहीं मिलता। वैसे ही दुनिया में 700 -800 करोड़ मनुष्य आत्मा है उसमे से हम आत्मा कौन है यह कैसे पहचाने।
कहने का अर्थ है कि इस दुनिया में हमारा क्या part है। हम आत्मा कितने जन्म लेते है ? उन जन्मो में हम क्या -क्या बनते है ? यदि हम ये जान जायेंगे तभी कह पाएंगे कि मैं कौन हूँ यह मुझे पता है।
यदि किसी को अपने जन्मो के बारे में पता है तो उसे कहेंगे कि वह अपने आत्मा के बारे में जनता है। नहीं तो 2500 वर्षों से लोग कह रहे है कि हम आत्मा है लेकिन किसी को भी अपने जन्मो के बारे में नहीं पता।
आत्मा के जन्मो के बारे में कौन बताएगा।
आत्मा अनेक जन्म लेने के कारन पिछले जन्मो को भूलते जाती है। लेकिन जो जन्म -मरण से न्यारा है , और सभी आत्माओं का बाप है वही हरेक आत्मा के जन्मो के बारे में बता सकता है।
लेकिन वह orally
बोलकर हरेक के जन्मो के बारे में नहीं बताता , तरीका बता देता है - जैसे Maths में
formula होता है , जिससे सभी questions solve हो जाते है , वैसे ही परमात्मा बाप इस सृष्टि में आकर
formula बताते है कि तुम अपने को सदैव आत्मा समझो तो तुम अपने सभी जन्मो के बारे में जान जाओगे। जिसे आत्मिक स्थिति कहते है। इसके बारे में हम विस्तार से बाद में बात करेंगे। आज के लिए इतना ही।
तो भाइयों ये थी जानकारी आपके बारे में , हमारे बारे में कि मैं कौन हूँ ? उम्मीद करता हूँ कि आपको यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है तो हमें
comment करके जरूर बताये।
और इस post को अपने भाइयों तक जरूर share करे ताकि उन्हें भी इस रहस्य के बारे में पता चले।
धन्यवाद। Om
Shanti.
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