श्री प्रेतराज सरकार
हिंदू भगवान प्रेतराज सरकार के बारे में - प्रेतराज सरकार की कहानी - भूतों के राजा - (कहानी – 1)
प्रेतराज सरकार एक हिंदू भगवान हैं जो भगवान हनुमान के साथ निकटता से जुड़े हुए हैं। वह भूतों का राजा है और उसे कभी-कभी मृत्यु के हिंदू देवता यमराज के रूप में भी गलत समझा जाता है। प्रेतराज सरकार की कहानी हनुमान द्वारा लंका जलाने से शुरू होती है। जब हनुमान ने लंका जलाई, तो ऋषि नीलासुर ने अपने जादू से आग बुझाने का प्रयास किया। लेकिन हनुमान द्वारा शुरू की गई आग पर उनका कोई जादू काम नहीं आया। लंका जलती रही। ऋषि नीलासुर ने तब महसूस किया कि हनुमान कोई साधारण प्राणी नहीं थे। फिर वह हनुमान के सामने खड़ा हो गया और उससे अपनी असली पहचान प्रकट करने को कहा। 
हनुमान ने ऋषि नीलासुर से कहा कि वह सिर्फ भगवान राम के भक्त थे। उन्होंने उसे यह भी बताया कि वह आग को बुझाने में सक्षम नहीं था क्योंकि उस पर भगवान श्री राम का आशीर्वाद था। तब ऋषि नीलासुर ने उन्हें भगवान श्रीराम के पास ले जाने के लिए कहा। रामायण में रावण की पराजय के बाद उनकी मनोकामना पूरी हुई थी। भगवान श्री राम के पृथ्वी से विदा होने के बाद, हनुमान ने भगवान श्री राम की महिमा फैलाने के लिए ऋषि नीलासुर को अपना मंत्री और लेफ्टिनेंट नियुक्त किया। तब उनका नाम प्रेतराज सरकार रखा गया। 
उन्हें आकाश में रहने वाले प्राणियों का भी स्वामी बनाया गया था। वह इस प्रकार भूतों, भूतों और आकाश में घूमने वाले अन्य प्राणियों को नियंत्रित करता है। प्रेतराज सरकार की पूजा करने से जीवन में विभिन्न परेशानियों को दूर करने में मदद मिलती है। वह लोगों की मनोकामना भी पूरी करते हैं। वह मुख्य रूप से उन लोगों द्वारा संपर्क किया जाता है जो बुरी आत्माओं और भूतों से ग्रस्त हैं। चूंकि वह भूतों का राजा है, वह लोगों को चंगा करता है और उन्हें आशीष देता है। अलग प्रेतराज सरकार चालीसा, आरती और प्रार्थना है। इनकी अधिकतर पूजा उत्तर भारत में होती है। चंडीगढ़ के पास कालका में त्रिमूर्ति धाम में उन्हें समर्पित एक अलग मंदिर है। 
जानिये मेहंदीपुर के प्रेतराज सरकार कौन है ? क्यों इनकी पूजा बालाजी महाराज से पहले की जाती है? - (कहानी – 2)
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि श्री बालाजी महाराज जो कि हनुमानजी महाराज का बाल रुप है, आज से लगभग 2000 वर्ष पूर्व घाटा मेहंदीपुर, राजस्थान मे प्रकट हुए थे। एवं, हम सभी लोग यह भी जानते हैं कि उनका यह प्रकटीकरण माता सीता जी के आशीर्वाद से हुआ था क्योंकि उन्हे माता सीता से कलियुग में संकट मोचन के रूप मे पूजे जाने का वरदान मिला था।
क्यों हुआ था श्री प्रेतराज सरकार और भैरव जी महाराज का प्रकटीकरण?
हम यह भी जानते हैं कि बालाजी महाराज सदैव अपने आराध्य श्री राम चन्द्र जी के चरणों के ध्यान मे खोए रहते हैं। इसी कारण से राजस्थान के मेहंदीपुर में श्री बालाजी महाराज अपने साथ श्री प्रेतराज सरकार और भैरव जी महाराज के साथ प्रकट हुए जो कि उनके सहायक है। श्री बालाजी महाराज के आशीर्वाद से भक्तों के संकटो को काटने का कार्य भैरो बाबा और प्रेतराज बाबा करते है।
भक्तों, अगर आप श्री प्रेतराज सरकार की कचहरी में गए हैं, जो कि दोपहर के समय 2 बजे से 4 बजे तक लगती है तो आपने देखा होगा कि श्री प्रेतराज जी का मंदिर, बालाजी महाराज के मन्दिर के ठीक ऊपर बना हुआ है एवं सबसे पहले उनके दरबार में श्री प्रेतराज जी की ही स्तुति गायी जाती है। फिर बाद मे श्री हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है।
भक्तों, क्या आप जानते हैं कि पहले प्रेतराज जी की ही पूजा क्यों की जाती है और उनके मंदिर को हनुमानजी से ऊंचा स्थान क्यों दिया गया है?
भक्तों, ऐसा कहा जाता है कि श्री प्रेतराज सरकार अपने जीवन काल मे राजस्थान के जयपुर के राजा हुआ करते थे और हर प्रकार के भूत प्रेत, पिशाच और जिन्न को पकड़ के उन्हें अपना गुलाम बनाने की कला जानते थे। इसी कारण से उन्हें प्रेतों का राजा श्री प्रेतराज सरकार कहा जाता है।
बालाजी के मेहंदीपुर में प्रकटीकरण से पूर्व बाला जी महाराज को एक सहायक की आवश्यकता महसूस हुई। राम नाम के ध्यान में होते हुए भी लोगों के संकट कट जाये इसलिए बाला जी महाराज श्री प्रेतराज जी के पास गए और उन्हें अपना सहायक बनने का आदेश दिया, चूँकि प्रेतराज जी एक राजा थे तो उन्हें किसी का आदेश मानना बुरा लगा और उन्होने बालाजी महाराज का आदेश मानने से मना कर दिया।
जब ये बात बालाजी महाराज को समझ आई तो उन्होंने श्री प्रेतराज जी से पुनः निवेदन किया, चूंकि श्री प्रेतराज जी उस समय गुस्से में थे और वह किसी का आदेश नहीं मानना चाहते थे इसलिए बालाजी महाराज को टालने के लिए उन्होने एक शर्त रख दी कि अगर आप मुझे वरदान दे, चूँकि मै एक राजा हू इसलिए मुझे आपसे भी ऊंचा स्थान चाहिए और मेरी पूजा आपसे पहले हो, साथ ही मेरी कचहरी मे मेरा ही हुक्म चले। श्री बालाजी महाराज ने तुरंत उनकी बात मान ली और उन्हें अपना सहायक बना लिया।
श्री प्रेतराज जी का मंदिर जो कि बालाजी महाराज के मंदिर के ऊपर बना हुआ है उनकी कचहरी आज भी प्रेतराज जी की कचहरी के रूप में विश्व विख्यात है और उनकी स्तुति पहले होना इस बात का सबूत है।
बालाजी महाराज की महिमा अद्वितीय है।
बोलो
सच्चे दरबार की जय
श्री प्रेतराज चालीसा...
!!दोहा!!
गणपति की कर वन्दना, गुरु चरणन चित लाए!
प्रेतराज जी का लिखूँ, चालीसा हरषाए!!
जय जय भूतादिक प्रबल, हरण सकल दुख भार!
वीर शिरोमणि जयति, जय प्रेतराज सरकार!!
!!चोपाई!!
जय जय प्रेतराज जगपावन! महाप्रबल दुख ताप नसावन!!
विकट्वीर करुणा के सागर! भक्त कष्ट हर सब गुण आगर!!
रतन जडित सिंहासन सोहे! देखत सुर नर मुनि मन मोहे!!
जगमग सिर पर मुकुट सुहावन! कानन कुण्डल अति मनभावन!!
धनुष किरपाण बाण अरु भाला! वीर वेष अति भ्रकुटि कराला!!
गजारुढ संग सेना भारी! बाजत ढोल म्रदंग जुझारी!!
छ्त्र चँवर पंखा सिर डोलें! भक्त व्रन्द मिल जय जय बोलें!!
भक्त शिरोमणि वीर प्रचण्डा! दुष्ट दलन शोभित भुजदण्डा!!
चलत सैन काँपत भु-तलह! दर्शन करत मिटत कलिमलह!!
घाटा मेंहदीपुर में आकर! प्रगटे प्रेतराज गुण सागर!!
लाल ध्वजा उड रही गगन में! नाचत भक्त मगन हो मन में!!
भक्त कामना पूरन स्वामी! बजरंगी के सेवक नामी!!
इच्छा पूरन करने वाले! दुख संकट सब हरने वाले!!
जो जिस इच्छा से हैं आते! मनवांछित फल सब वे हैं पाते!!
रोगी सेवा में जो हैं आते! शीघ्र स्वस्थ होकर घर हैं जाते!!
भूत पिशाच जिन वैताला! भागे देखत रुप विकराला!!
भोतिक शारीरिक सब पीडा! मिटा शीघ्र करते हैं क्रीडा!!
कठिन काज जग में हैं जेते! रटत नाम पूरा सब होते!!
तन मन से सेवा जो करते! उनके कष्ट प्रभु सब हरते!!
हे करुणामय स्वामी मेरे! पडा हुआ हूँ दर पे तेरे!!
कोई तेरे सिवा ना मेरा! मुझे एक आश्रय प्रभु तेरा!!
लज्जा मेरी हाथ तिहारे! पडा हुआ हूँ चरण सहारे!!
या विधि अरज करे तन-मन से! छूटत रोग-शोक सब तन से!!
मेंहदीपुर अवतार लिया है! भक्तों का दुख दूर किया है!!
रोगी पागल सन्तति हीना! भूत व्याधि सुत अरु धन छीना!!
जो जो तेरे द्वारे आते! मनवांछित फल पा घर जाते!!
महिमा भूतल पर छाई है! भक्तों ने लीला गाई है!!
महन्त गणेश पुरी तपधारी! पूजा करते तन-मन वारी!!
हाथों में ले मुदगर घोटे! दूत खडे रहते हैं मोटे!!
लाल देह सिन्दूर बदन में! काँपत थर-थर भूत भवन में!!
जो कोई प्रेतराज चालीसा!
पाठ करे नित एक अरु हमेशा!!
प्रातः काल स्नान करावै! तेल और सिन्दूर लगावै!!
चन्दन इत्र फुलेल चढावै! पुष्पन की माला पहनावै!!
ले कपूर आरती उतारें! करें प्रार्थना जयति उचारें!!
उन के सभी कष्ट कट जाते! हर्षित हो अपने घर जाते!!
इच्छा पूरन करते जन की! होती सफल कामना मन की!!
भक्त कष्ट हर अरि कुल घातक! ध्यान करत छूटत सब पातक!!
जय जय जय प्रेताधिराज जय! जयति भुपति संकट हर जय!!
जो नर पढत प्रेत चालीसा! रहत ना कबहुँ दुख लवलेशा!!
कह 'सुखराम' ध्यानधर मन में! प्रेतराज पावन चरनन में!!
!!दोहा!!
दुष्ट दलन जग अघ हरन! समन सकल भव शूल!!
जयति भक्त रक्षक सबल! प्रेतराज सुख मूल!!
विमल वेश अंजनि सुवन! प्रेतराज बल धाम!!
बसहु निरन्तर मम ह्र्दय! कहत दास सुखराम!!
!!इति श्री प्रेतराज चालीसा!!
 
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